विषय सूची (Table of Contents)
1. परिचय: मैकियावेली का युग
इटली के फ्लोरेंस में जन्मे निकोलों मैकियावेली (1469-1527) को पश्चिमी राजनीतिक चिंतन के इतिहास में एक युग-प्रवर्तक माना जाता है। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध कृतियों ‘द प्रिंस’ (The Prince, 1532) और ‘द डिस्कोर्सेस’ (The Discourses) के माध्यम से राजनीति को धर्म और नैतिकता के चंगुल से मुक्त कराया। डनिंग (Dunning) ने ठीक ही कहा है कि “मैकियावेली मध्ययुग का अंत और आधुनिक युग की शुरुआत करते हैं।”
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2. अपने युग का शिशु (The Child of his Time)
डब्ल्यू.टी. जोन्स (W.T. Jones) का कथन है कि “मैकियावेली अपने युग का शिशु था।” इसका अर्थ है कि उनके विचारों पर समकालीन परिस्थितियों (इटली का पुनर्जागरण) का गहरा प्रभाव था। वे कौन सी परिस्थितियां थीं जिन्होंने मैकियावेली के चिंतन को आकार दिया?
(A) पुनर्जागरण आंदोलन (Renaissance Movement)
मैकियावेली पुनर्जागरण के केंद्र ‘फ्लोरेंस’ के निवासी थे। पुनर्जागरण ने बुद्धिवाद (Rationalism) और मानवतावाद पर जोर दिया। इसने ईश्वर के बजाय ‘मनुष्य’ को चिंतन का केंद्र बनाया। मैकियावेली ने इसी तार्किकता को राजनीति में लागू किया।
(B) इटली की राजनीतिक दुर्दशा
उस समय इटली पांच छोटे राज्यों (फ्लोरेंस, वेनिस, नेपल्स, मिलान और चर्च राज्य) में बंटा हुआ था जो आपस में लड़ते रहते थे। फ्रांस और स्पेन जैसे शक्तिशाली राष्ट्र इटली पर आक्रमण कर रहे थे। मैकियावेली ने देखा कि आपसी फूट के कारण इटली कमजोर है। इसीलिए उन्होंने एक शक्तिशाली शासक (Prince) और एकीकृत इटली का सपना देखा।
(C) चर्च का भ्रष्टाचार
पोप और चर्च उस समय अनैतिकता और भ्रष्टाचार के केंद्र बन चुके थे। मैकियावेली ने महसूस किया कि चर्च इटली के एकीकरण में सबसे बड़ी बाधा है।
3. प्रथम आधुनिक राजनीतिक विचारक: एक विश्लेषण
मैकियावेली को ‘आधुनिक राजनीति विज्ञान का जनक’ कहा जाता है क्योंकि उन्होंने प्लेटो और अरस्तू की आदर्शवादी परंपरा को तोड़ा। उनके आधुनिक होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- यथार्थवाद (Realism): मैकियावेली ने “क्या होना चाहिए” (Ought to be) के स्थान पर “क्या है” (What is) पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने काल्पनिक आदर्श राज्य की जगह व्यावहारिक राजनीति (Realpolitik) की बात की।
- धर्मनिरपेक्ष राजनीति: उन्होंने राजनीति को धर्म और नैतिकता से पूरी तरह अलग कर दिया। उनके लिए राजनीति एक स्वतंत्र विज्ञान थी।
- शक्ति की राजनीति (Power Politics): उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य का आधार ‘न्याय’ (Justice) नहीं, बल्कि ‘शक्ति’ (Force) है।
- संप्रभुता का विचार: यद्यपि उन्होंने ‘संप्रभुता’ शब्द का प्रयोग नहीं किया, लेकिन राज्य को सर्वोच्च संस्था मानकर उन्होंने बोदां और हॉब्स के लिए रास्ता तैयार किया।
4. मानव स्वभाव संबंधी विचार (Conception of Human Nature)
मैकियावेली के संपूर्ण राजनीतिक दर्शन की आधारशिला उनका ‘मानव स्वभाव’ का विश्लेषण है। हॉब्स की तरह, मैकियावेली भी मनुष्य के प्रति निराशावादी दृष्टिकोण रखते हैं। उनका मानना था कि राजनीति को समझने के लिए मनुष्य के असली चेहरे को समझना जरूरी है।
(A) मनुष्य: एक स्वार्थी प्राणी
‘द प्रिंस’ के 17वें अध्याय में मैकियावेली मनुष्य के स्वभाव का चित्रण करते हुए लिखते हैं:
“सामान्य रूप से मनुष्यों के बारे में यह कहा जा सकता है कि वे कृतघ्न (Ungrateful), चंचल (Fickle), झूठे, कायर और लोभी होते हैं। जब तक आप उनका भला करते हैं, वे आपके हैं… लेकिन जैसे ही आवश्यकता पड़ती है, वे आपके विरुद्ध हो जाते हैं।”
(B) मानव स्वभाव की प्रमुख विशेषताएं
- अहंवादी (Egoist): मनुष्य जन्म से ही बुरा और स्वार्थी होता है। उसके सभी कार्य स्वहित (Self-interest) से प्रेरित होते हैं।
- धन का लालच: मैकियावेली का सबसे प्रसिद्ध कथन है- “मनुष्य अपने पिता की मृत्यु को तो आसानी से भूल सकता है, परंतु अपनी पैतृक संपत्ति की हानि को नहीं भूलता।”
- भय और प्रेम: मनुष्य प्रेम की अपेक्षा भय (Fear) से अधिक संचालित होता है। प्रेम एक बंधन है जिसे स्वार्थ के कारण तोड़ा जा सकता है, लेकिन दंड का भय कभी नहीं टूटता।
(C) शासन व्यवस्था पर प्रभाव
चूंकि मनुष्य स्वभाव से दुष्ट है, इसलिए मैकियावेली निष्कर्ष निकालते हैं कि:
- राज्य को चलाने के लिए निरंकुश राजतंत्र (Absolute Monarchy) सबसे उपयुक्त है (इटली जैसे भ्रष्ट समाजों के लिए)।
- शासक को प्रजा को नियंत्रित करने के लिए ‘शक्ति’ और ‘छल’ दोनों का प्रयोग करना चाहिए।
- यदि मनुष्य अच्छे होते, तो राजा को अच्छा होना चाहिए था, लेकिन क्योंकि वे बुरे हैं, राजा को भी आवश्यकतानुसार क्रूर होना चाहिए।
5. निष्कर्ष
मैकियावेली के विचार अपने समय की उपज थे। उन्होंने मानव स्वभाव का जो एकांगी (One-sided) चित्रण किया, वह वैज्ञानिक नहीं था, बल्कि इटली की तत्कालीन परिस्थितियों के अवलोकन पर आधारित था। फिर भी, उन्होंने राजनीति को कोरे आदर्शवाद से निकालकर यथार्थ की ठोस जमीन पर खड़ा किया, जो उनकी सबसे बड़ी देन है।
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