विषय सूची (Table of Contents)
1. परिचय (Introduction)
भारतीय संविधान के भाग 5 (Part V) में अनुच्छेद 79 से 122 तक संसद के गठन, संरचना, अवधि, अधिकारियों, प्रक्रियाओं और शक्तियों का वर्णन किया गया है। भारत में ब्रिटेन के संविधान से प्रेरित ‘वेस्टमिंस्टर मॉडल’ पर आधारित संसदीय शासन प्रणाली अपनाई गई है।
- राष्ट्रपति (President): संसद का अभिन्न अंग है।
- राज्यसभा (Rajya Sabha): उच्च सदन / राज्यों की परिषद।
- लोकसभा (Lok Sabha): निम्न सदन / जनता का सदन।
2. राज्यसभा: संरचना और कार्य (Rajya Sabha)
राज्यसभा संसद का उच्च सदन (Upper House) है जो भारतीय संघ के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करता है। यह एक स्थायी सदन है जिसका कभी विघटन (Dissolution) नहीं होता।
(A) संरचना (Composition) – अनुच्छेद 80
संविधान के अनुच्छेद 80 के अनुसार, राज्यसभा की अधिकतम सदस्य संख्या 250 निर्धारित की गई है:
- 238 सदस्य: राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि होते हैं (अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित)।
- 12 सदस्य: राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत (Nominated) किए जाते हैं। (साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा के क्षेत्र से)।
वर्तमान स्थिति: वर्तमान में राज्यसभा में 245 सदस्य हैं (229 राज्यों से + 4 केंद्रशासित प्रदेशों से + 12 मनोनीत)।
(B) निर्वाचन और कार्यकाल
- चुनाव पद्धति: आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत (Single Transferable Vote) द्वारा।
- कार्यकाल: सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष होता है। प्रत्येक दो वर्ष बाद इसके एक-तिहाई (1/3) सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं।
(C) राज्यसभा की विशेष शक्तियां
संघीय ढांचे को मजबूत करने के लिए राज्यसभा के पास दो अनन्य शक्तियां हैं:
- अनुच्छेद 249: राज्य सूची के विषय पर कानून बनाने के लिए संसद को अधिकृत करना।
- अनुच्छेद 312: नई ‘अखिल भारतीय सेवाओं’ (All India Services) का सृजन करना।
3. लोकसभा: संरचना और कार्य (Lok Sabha)
लोकसभा संसद का निम्न सदन (Lower House) है और यह भारत के लोगों का सीधे प्रतिनिधित्व करता है। सरकार के गठन में इसकी भूमिका निर्णायक होती है।
(A) संरचना (Composition) – अनुच्छेद 81
लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या 550 हो सकती है। (104वें संविधान संशोधन, 2019 द्वारा एंग्लो-इंडियन सदस्यों का मनोनयन समाप्त कर दिया गया)।
- 530 सदस्य: राज्यों के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से।
- 20 सदस्य: केंद्रशासित प्रदेशों से।
वर्तमान स्थिति: वर्तमान में लोकसभा में 543 सदस्य हैं।
(B) निर्वाचन और कार्यकाल
- चुनाव: प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा ‘सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार’ (18 वर्ष से अधिक) के आधार पर।
- कार्यकाल: सामान्यतः 5 वर्ष। प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति इसे समय से पूर्व भंग कर सकता है।
4. संसद के प्रमुख कार्य एवं शक्तियां
संसद केवल कानून बनाने वाली संस्था नहीं है, बल्कि इसके पास बहुआयामी शक्तियां हैं:
1. विधायी शक्तियां (Legislative Powers)
संसद संघ सूची (Union List) और समवर्ती सूची (Concurrent List) के विषयों पर कानून बनाती है। साधारण विधेयक किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है।
2. वित्तीय शक्तियां (Financial Powers)
संसद ‘राष्ट्रीय वित्त’ की संरक्षक है।
- बजट: संसद की मंजूरी के बिना सरकार एक रुपया भी खर्च नहीं कर सकती।
- धन विधेयक (Money Bill): अनुच्छेद 110 के तहत धन विधेयक केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है। राज्यसभा के पास इसमें सीमित शक्तियां हैं (मात्र 14 दिन की देरी)।
3. कार्यपालिका पर नियंत्रण (Control over Executive)
संसदीय प्रणाली में मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है। संसद प्रश्नकाल (Question Hour), शून्यकाल (Zero Hour) और अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) के माध्यम से सरकार पर नियंत्रण रखती है।
4. संविधान संशोधन (Constitutional Amendment)
अनुच्छेद 368 के तहत संसद संविधान के प्रावधानों में संशोधन कर सकती है। इसके लिए दोनों सदनों के विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है।
5. निष्कर्ष (Conclusion)
भारतीय संसद देश की संप्रभुता और जनइच्छा का प्रतीक है। जहाँ लोकसभा जनता की भावनाओं का प्रत्यक्ष प्रतिनिधित्व करती है और सरकार बनाती है, वहीं राज्यसभा राज्यों के हितों की रक्षा करती है और जल्दबाजी में बनाए गए कानूनों पर रोक (Check and Balance) लगाती है। दोनों सदन मिलकर भारतीय लोकतंत्र को सशक्त बनाते हैं।
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