शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23–24) — सुव्यवस्थित मार्गदर्शिका
परिचय
भारतीय संविधान शोषण को रोकने के लिए दो स्पष्ट प्रावधान प्रस्तुत करता है—अनुच्छेद 23 और 24। इनके माध्यम से मानव-तस्करी, बेगार (बिना वेतन का मजबूर श्रम) और बाल-श्रम जैसी प्रथाएँ रोकी जाती हैं। राज्य और समाज में गरिमा, समानता तथा श्रम के न्यायपूर्ण मानकों को सुरक्षित रखने के लिए इन प्रावधानों का कठोर अनुपालन किया जाता है।
अनुच्छेद 23: मानव-तस्करी, बेगार और समान प्रकार के जबरन श्रम का निषेध
अनुच्छेद 23 के अंतर्गत मानव-तस्करी, बेगार और समान प्रकार के जबरन श्रम को निषिद्ध किया जाता है, और इसके उल्लंघन को विधि के अनुसार दंडनीय अपराध बनाया जाता है। यह संरक्षण केवल राज्य के विरुद्ध ही नहीं, निजी व्यक्तियों के विरुद्ध भी लागू किया जाता है, ताकि किसी भी रूप में शोषण न हो।
- मानव-तस्करी (खरीद-फरोख्त/यौन-शोषण हेतु ले जाया जाना) को पूर्णतः रोका जाता है।
- बेगार यानी बिना वेतन का बाध्य श्रम निषिद्ध किया जाता है; न्यूनतम वेतन से कम भुगतान करवाना भी जबरन श्रम में गिना जाता है।
- समान प्रकार का जबरन श्रम—धमकी, आर्थिक मजबूरी या अनुचित शर्तों से करवाया जाने वाला श्रम—निषिद्ध किया जाता है।
- सार्वजनिक प्रयोजन हेतु अनिवार्य सेवा विधि द्वारा निर्दिष्ट की जाती है; पर सेवा लगाने में धर्म, जाति, वर्ग आदि के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है।
इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बंधुआ मजदूरी उन्मूलन, न्यूनतम वेतन और मानव-तस्करी निरोध जैसे कानूनों के माध्यम से कड़ाई से अमल किया जाता है और पीड़ितों के पुनर्वास की व्यवस्था की जाती है।
अनुच्छेद 24: कारखानों, खदानों और जोखिमपूर्ण कार्यों में बाल-श्रम का निषेध
अनुच्छेद 24 के अनुसार 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे को किसी भी कारखाने या खदान में नियुक्त नहीं किया जाता है और न ही उसे किसी अन्य जोखिमपूर्ण कार्य में लगाया जाता है। बाल-श्रम को रोकने के लिए विनियमन और दंड का प्रावधान किया जाता है, तथा शिक्षा/स्वास्थ्य/पोषण के अधिकारों को प्राथमिकता दी जाती है।
- 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे को खतरनाक प्रक्रियाओं में लगाना निषिद्ध किया जाता है; निरीक्षण एवं दंड व्यवस्था लागू की जाती है।
- 14–18 वर्ष के किशोरों के लिए जोखिमपूर्ण कार्यों पर कड़ा नियंत्रण रखा जाता है; सुरक्षा-मानक कड़ाई से लागू किए जाते हैं।
- बालकों की शिक्षा, स्वास्थ्य और पुनर्वास हेतु विशेष योजनाएँ संचालित की जाती हैं।
उल्लेखनीय निर्णय (संदर्भ हेतु)
- Bandhua Mukti Morcha बनाम Union of India—बंधुआ मजदूरी की पहचान, मुक्ति और पुनर्वास के लिए सक्रिय कदम उठाए जाते हैं।
- People’s Union for Democratic Rights (ASiad)—न्यूनतम वेतन से कम भुगतान करवाना भी जबरन श्रम माना जाता है।
- Sanjit Roy बनाम State of Rajasthan—राहत कार्यों में भी न्यूनतम वेतन से कम भुगतान नहीं किया जाता है।
- M.C. Mehta बनाम State of Tamil Nadu—बाल-श्रम उन्मूलन और पुनर्वास हेतु दिशानिर्देश दिए जाते हैं।
Quick Points
- ✅ मानव-तस्करी, बेगार और जबरन श्रम पूरी तरह निषिद्ध किया जाता है।
- ✅ अनु. 23 निजी व्यक्तियों पर भी लागू किया जाता है (क्षैतिज अनुप्रयोग)।
- ✅ सार्वजनिक प्रयोजन हेतु बिना भेदभाव अनिवार्य सेवा विधि के अनुसार लगाई जाती है।
- ✅ अनु. 24 के तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक/कारखाना/खदान कार्यों में नहीं लगाया जाता है।
- ✅ उल्लंघन की स्थिति में दंड और पुनर्वास की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
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