प्लेटो का न्याय का सिद्धांत (Republic आधारित)
1) एथेंस: सुकरात का संवाद-परिदृश्य
Republic की शुरुआत एथेंस/पीरियस में होती है, जहाँ सुकरात अपने साथियों के साथ सेफ़ेलस (वयोवृद्ध), पोलेमार्कस (उसका पुत्र), थ्रेसिमेकस (सोफ़िस्ट) और आगे चलकर ग्लॉकों व अडाइमैन्टस के साथ न्याय पर चर्चा करते हैं। यह मंचन सिर्फ़ प्रस्तावनात्मक नहीं, बल्कि न्याय की अवधारणा को बहु-दृष्टियों से टटोलता है—यहीं से प्लेटो (सुकरात की ज़ुबानी) अपनी विचार-यात्रा आगे बढ़ाते हैं।
2) न्याय की मूल अवधारणा (संक्षेप)
प्लेटो के यहाँ न्याय कोई मात्र विधि-पालन नहीं; यह व्यक्ति के आत्मिक-संतुलन और राज्य के कार्य-विभाजन से उत्पन्न समरस व्यवस्था है। उनके अनुसार न्याय तब है जब प्रत्येक भाग—व्यक्ति में हो या राज्य में—अपना उचित कार्य करे और अनधिकार-हस्तक्षेप न हो। परिणामतः बुद्धि मार्गदर्शन करे, साहस उसका सहायक बने और इच्छाएँ संयमित रहें।
- ✔️ न्याय = “अपने कार्य में लगे रहना” (each doing one’s own)
- ✔️ व्यक्ति-आत्मा: तर्कशील–उदात्त–वासनात्मक भागों का संतुलन
- ✔️ राज्य: दार्शनिक-शासक–रक्षक–उत्पादक वर्गों का सामंजस्य
3) बहस का क्रम: कौन क्या कहता है, सुकरात कैसे जवाब देते हैं?
प्रारम्भिक पुस्तकों में न्याय के कई लोकप्रिय अर्थ उभरते हैं और सुकरात उन्हें जाँचते-परखते हैं। यह क्रम अंततः प्लेटो के सकारात्मक सिद्धांत तक ले जाता है।
- सेफ़ेलस: “न्याय = सत्य बोलना और देनदारी चुकाना।”
जवाब: अगर किसी पागल मित्र को उसका हथियार लौटाना पड़े तो?—सब स्थिति में “दे देना” न्याय नहीं। - पोलेमार्कस: “न्याय = मित्रों का भला, शत्रुओं का बुरा।”
जवाब: न्याय किसी को बुरा बनाता नहीं; “मित्र/शत्रु” का निर्णय भी अक्सर भ्रमित कर सकता है। - थ्रेसिमेकस: “न्याय = शक्तिशाली का लाभ।” (might is right)
जवाब: शासक भी भूल कर सकता है; कला/राज-विद्या का सार शासित के हित में है, न कि स्वार्थ में। - ग्लॉकों–अडाइमैन्टस: न्याय को लोग मजबूरी में मानते हैं; “रिंग ऑफ़ गायजेस” दिखाता है कि दंड-भय हटे तो लोग अन्याय करेंगे।
जवाब (आगे की पुस्तकों में): प्लेटो “शहर-आत्मा उपमा” से दिखाते हैं कि न्याय आंतरिक स्वास्थ्य है—स्वयं में श्रेष्ठ, परिणामों से भी बेहतर।
4) प्लेटो का सकारात्मक सिद्धांत: “अपना कार्य करो”
प्लेटो न्याय को चार सद्गुणों—बुद्धि, साहस, संयम, न्याय—की समष्टि में समझते हैं। राज्य में तीन वर्ग (दार्शनिक-शासक, रक्षक, उत्पादक) और व्यक्ति में आत्मा के तीन भाग (तर्कशील, उदात्त, वासनात्मक) समान्तर रखे जाते हैं। न्याय वही स्थिति है जहाँ शासक वर्ग/तर्क मार्गदर्शन करे, रक्षक/उदात्त सहायता दे और उत्पादक/वासनात्मक संयमित होकर अपने-अपने कार्य में लगे रहें।
- ✔️ न्याय (Justice): भूमिकाओं का सम्यक्-निर्धारण और अनधिकार-हस्तक्षेप का न होना
- ✔️ संयम (Temperance): सभी वर्ग/भागों में सामंजस्य
- ✔️ साहस (Courage): रक्षक/उदात्त भाग का दृढ़ निश्चय
- ✔️ बुद्धि (Wisdom): शासक/तर्क का सही मार्गदर्शन
5) व्यक्ति-स्तर व राज्य-स्तर पर न्याय
व्यक्ति में न्याय उसका आत्मिक-संतुलन है—तर्क का शासन, उदात्त का सहयोग, और वासनात्मक का संयम। राज्य में न्याय कार्य-विभाजन है—दार्शनिक-शासक शासन/नीति का ज्ञान रखते हैं, रक्षक सुरक्षा/साहस का संबल हैं और उत्पादक वर्ग अर्थ-व्यवस्था का आधार।
- ✔️ व्यक्ति = आंतरिक स्वास्थ्य
- ✔️ राज्य = संस्थागत समरसता
6) पद्धति: शहर–आत्मा उपमा और द्वंद्ववाद
प्लेटो पहले शहर (State) में न्याय खोजते हैं—बड़ी इकाई में दर्शन स्पष्ट दिखता है—फिर उसी नक्शे से व्यक्ति की आत्मा को पढ़ते हैं। यह एनालॉजी और द्वंद्ववाद (प्रश्नोत्तर से सत्य-उद्घाटन) का संयुक्त तरीका है, जिसमें लोकप्रिय धारणाएँ परखी जाती हैं और क्रमशः एक संगत सिद्धांत निकलता है।
- ✔️ पहले “शहर” में न्याय → फिर “आत्मा” में प्रतिरूप
- ✔️ संवाद/प्रतिवाद से चरणबद्ध स्पष्टता
7) कमियाँ/सीमाएँ (What’s missing?)
आलोचकों के अनुसार प्लेटो का न्याय-सिद्धांत अत्यधिक समरसतावादी होकर विविधता/स्वतंत्रता को सीमित कर देता है। वर्ग-विभाजन और “अपना कार्य करो” का ज़ोर गतिशीलता घटा सकता है; अभिरक्षकों के लिए निजी संपत्ति/परिवार पर नियंत्रण और Noble Lie जैसी कल्पनाएँ उदार-मानवाधिकार से टकराती हैं। थ्रेसिमेकस/ग्लॉकों की शक्ति/अनुबंध-चुनौतियों का उत्तर देते हुए भी, प्लेटो का मॉडल कुछ हद तक अभिजनवादी और आदर्शवादी प्रतीत होता है—व्यावहारिक लोकतंत्र की भागीदारी/विरोध जैसी प्रक्रियाएँ इसमें कम स्पेस पाती हैं।
- ⚠️ वर्ग-स्थिरता और सीमित सामाजिक गतिशीलता
- ⚠️ अभिव्यक्ति/निजता पर नियंत्रण; Noble Lie का नैतिक प्रश्न
- ⚠️ आधुनिक लोकतंत्र/मानवाधिकार/बहुलता से टकराव
- ⚠️ “शहर–आत्मा” उपमा की सीमाएँ; अनुभवजन्य प्रमाण कम
8) समकालीन प्रासंगिकता
- ✔️ संस्थागत भूमिकाओं की स्पष्टता और जिम्मेदारी
- ✔️ नैतिक-चरित्र को न्याय का आंतरिक आधार मानना
- ✔️ नीति-निर्माण में सद्गुण और समरसता का महत्व
- ✔️ परन्तु: समरसता बनाम स्वतंत्रता—ट्रेडऑफ़ पर सतर्क विमर्श ज़रूरी
9) निष्कर्ष + MCQs
प्लेटो के लिए न्याय आंतरिक स्वास्थ्य + सामाजिक समरसता है—व्यक्ति/राज्य में प्रत्येक भाग/वर्ग का अपने कार्य में तत्पर रहना। संवाद-क्रम से लोकप्रिय धारणाएँ परखकर वे एक एकीकृत सिद्धांत तक पहुँचते हैं; हालाँकि इसकी उदार-लोकतांत्रिक आलोचनाएँ गंभीर हैं।
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थ्रेसिमेकस के अनुसार न्याय की परिभाषा क्या है?
(a) सत्य बोलना व ऋण चुकाना (b) मित्रों का भला शत्रुओं का बुरा (c) शक्तिशाली का लाभ (d) अपना कार्य करना
उत्तर: (c) शक्तिशाली का लाभ -
प्लेटो के सकारात्मक सिद्धांत में “न्याय” का सर्वोत्तम सार क्या है?
(a) अधिकतम धनोपार्जन (b) प्रत्येक का अपने उचित कार्य में लगे रहना (c) युद्ध-प्रवीणता (d) बहुमत का शासन
उत्तर: (b) प्रत्येक का अपने उचित कार्य में लगे रहना -
“शहर–आत्मा उपमा” का उद्देश्य है—
(a) कला-सौंदर्य का विस्तार (b) छोटे में कठिन दिखने वाली चीज़ को बड़े पैमाने पर स्पष्ट करना (c) कर-व्यवस्था तय करना (d) कवियों की निंदा
उत्तर: (b) छोटे में कठिन दिखने वाली चीज़ को बड़े पैमाने पर स्पष्ट करना -
नीचे में से प्लेटो-आधारित प्रमुख आलोचना कौन-सी है?
(a) न्याय = सिर्फ़ दंड देना (b) वर्ग-स्थिरता/निजता पर नियंत्रण/नौबल लाई का प्रश्न (c) लोकतंत्र सर्वोत्तम (d) न्याय = आनंद
उत्तर: (b) वर्ग-स्थिरता/निजता पर नियंत्रण/नौबल लाई का प्रश्न
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