प्रस्तावना
विदेश नीति (Foreign Policy) किसी भी राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय संबंधों की दिशा और रणनीति को निर्धारित करती है। भारत जैसे विशाल भू-भाग, सांस्कृतिक विरासत और जनसंख्या वाले देश के लिए विदेश नीति केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आर्थिक विकास, वैश्विक सहयोग, क्षेत्रीय नेतृत्व और सभ्यतागत मूल्यों की अभिव्यक्ति भी है।
भारत की विदेश नीति के दो प्रमुख आयाम हैं :
1. Key Principles (मुख्य सिद्धांत) – जिन पर यह नीति आधारित है।
2. Determinants (निर्धारक कारक) – वे परिस्थितियाँ और तत्व जो इस नीति को आकार देते हैं।
—
1. भारत की विदेश नीति के प्रमुख सिद्धांत (Key Principles)
(क) गुटनिरपेक्षता (Non-Alignment)
भारत की विदेश नीति का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत।
शीत युद्ध के समय भारत ने अमेरिका और सोवियत संघ दोनों ध्रुवों से दूरी बनाए रखी।
नेहरू और टिटो, नासिर, नक्रूमा आदि नेताओं के सहयोग से Non-Aligned Movement (NAM) की स्थापना।
(ख) पंचशील सिद्धांत (Panchsheel Principles)
1954 में चीन के साथ हुए समझौते में पाँच सिद्धांत :
1. एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान।
2. एक-दूसरे पर आक्रमण न करना।
3. आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना।
4. समानता और परस्पर लाभ।
5. शांतिपूर्ण सहअस्तित्व।
(ग) शांति और सहअस्तित्व
भारत की विदेश नीति हमेशा युद्ध-विरोधी और शांति-समर्थक रही है।
संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में भारत की सक्रिय भागीदारी।
(घ) उपनिवेशवाद और रंगभेद का विरोध
भारत ने अफ्रीकी देशों में स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन किया।
दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद नीति का विरोध करने वाले शुरुआती देशों में भारत प्रमुख था।
(ङ) सार्वभौमिकता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग
भारत ने हमेशा अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का सम्मान किया।
वैश्विक समस्याओं (जैसे जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, महामारी) के समाधान में सहयोग का आह्वान।
(ज) प्रवासी भारतीय नीति
प्रवासी भारतीयों (NRIs, PIOs) के साथ संबंधों को मजबूत करना।
सांस्कृतिक कूटनीति (Cultural Diplomacy) के माध्यम से भारत की Soft Power को बढ़ावा देना।
—
2. भारत की विदेश नीति के निर्धारक कारक (Determinants)
विदेश नीति केवल आदर्शों से नहीं चलती, बल्कि उसे कई आंतरिक और बाहरी कारक आकार देते हैं।
(क) भौगोलिक कारक (Geographical Factors)
भारत का स्थान – एशिया के केंद्र में, दक्षिण एशिया का हृदय।
उत्तर में हिमालय और दक्षिण में हिंद महासागर।
7 देशों से सीमा लगती है – पाकिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, अफगानिस्तान (POK के माध्यम से)।
इस भौगोलिक स्थिति ने भारत की विदेश नीति में सुरक्षा और पड़ोसी संबंधों को प्राथमिकता दी।
(ख) ऐतिहासिक अनुभव (Historical Legacy)
औपनिवेशिक शोषण ने भारत को आत्मनिर्भरता और स्वतंत्र विदेश नीति अपनाने के लिए प्रेरित किया।
स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों (अहिंसा, सत्य, स्वतंत्रता) ने विदेश नीति को नैतिक आधार दिया।
(ग) आर्थिक कारक (Economic Factors)
1991 के बाद आर्थिक उदारीकरण।
ऊर्जा सुरक्षा (Oil, Gas), व्यापार समझौते (FTA), तकनीकी सहयोग, विदेशी निवेश भारत की विदेश नीति के निर्धारक बने।
“Make in India”, “Digital India” जैसी पहलें भी वैश्विक सहयोग से जुड़ी हैं।
(घ) राजनीतिक प्रणाली और नेतृत्व (Political System & Leadership)
लोकतांत्रिक ढांचा – भारत की विदेश नीति जनमत और संसदीय नियंत्रण से प्रभावित होती है।
नेतृत्व का व्यक्तित्व –
नेहरू – आदर्शवादी।
इंदिरा गांधी – यथार्थवादी और दृढ़।
वाजपेयी – परमाणु शक्ति और शांति का मिश्रण।
मोदी – सक्रिय और आक्रामक कूटनीति।
(ङ) सुरक्षा और रक्षा (Security & Defence)
पड़ोस में चीन और पाकिस्तान जैसे प्रतिद्वंद्वी।
आतंकवाद, सीमा विवाद, समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा विदेश नीति के प्रमुख मुद्दे।
रक्षा साझेदारी (USA, रूस, फ्रांस, इजरायल) निर्धारक बन चुकी है।
(च) अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य (International Context)
शीत युद्ध, वैश्वीकरण, बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था।
संयुक्त राष्ट्र, WTO, IMF, World Bank जैसी संस्थाओं का प्रभाव।
रूस-यूक्रेन युद्ध, अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता जैसी घटनाएँ विदेश नीति को प्रभावित करती हैं।
(छ) जनमत और मीडिया (Public Opinion & Media)
लोकतांत्रिक भारत में मीडिया, सोशल मीडिया और जनमत विदेश नीति को प्रभावित करते हैं।
उदाहरण : 1999 कारगिल युद्ध के समय मीडिया की भूमिका।
(ज) सांस्कृतिक और सभ्यतागत तत्व (Civilizational & Cultural Factors)
भारत की सभ्यता का दर्शन : “वसुधैव कुटुंबकम्”।
योग, आयुर्वेद, बॉलीवुड, आईटी उद्योग और प्रवासी भारतीय भारत की सॉफ्ट पावर के निर्धारक हैं।
(झ) वैश्विक संकट और अवसर (Global Crises & Opportunities)
कोविड-19 महामारी के दौरान “वैक्सीन मैत्री” पहल।
जलवायु परिवर्तन और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में भारत की अग्रणी भूमिका।
—
3. प्रमुख उदाहरण
1971 : बांग्लादेश युद्ध ने क्षेत्रीय शक्ति के रूप में भारत की भूमिका को सिद्ध किया।
1998 : परमाणु परीक्षणों ने भारत की रणनीतिक पहचान को बदला।
2008 : भारत-अमेरिका परमाणु समझौता।
2023 G20 शिखर सम्मेलन : भारत को वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में प्रस्तुत किया।
—
निष्कर्ष
भारत की विदेश नीति का निर्माण सिद्धांतों और निर्धारक कारकों के संयुक्त प्रभाव से हुआ है।
सिद्धांत : शांति, गुटनिरपेक्षता, पंचशील, रणनीतिक स्वायत्तता, प्रवासी भारतीयों से संपर्क।
निर्धारक : भूगोल, इतिहास, राजनीति, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, वैश्विक संकट और सभ्यतागत मूल्य।
आज भारत की विदेश नीति का मूल मंत्र है—
“राष्ट्रहित सर्वोपरि, किन्तु विश्वकल्याण का संकल्प भी।”

Leave a comment