
भूमिका (Introduction)
भारतीय संविधान की प्रस्तावना या उद्देशिका, पूरे संविधान का सार है। यह एक ऐसा ऐलान है जो बताता है कि भारत एक ऐसा देश बनना चाहता है, जो अपने हर नागरिक के लिए अच्छा हो। प्रस्तावना में चार बड़े लक्ष्य बताए गए हैं: न्याय, स्वतंत्रता, समानता, और बंधुता। ये चारों आपस में जुड़े हुए हैं। जैसे, बिना समानता के स्वतंत्रता का कोई मतलब नहीं, और बिना बंधुता (भाईचारे) के न तो समानता टिक सकती है और न ही स्वतंत्रता सुरक्षित रह सकती है।
1. न्याय (Justice)
न्याय का मतलब सिर्फ अदालतों में सही फैसला होना ही नहीं है। इसका मतलब है एक ऐसा समाज बनाना जहाँ हर इंसान को इंसानियत के साथ जीने, आगे बढ़ने के मौके मिलें और किसी का शोषण न हो। इसे तीन हिस्सों में बाँटा गया है:
- सामाजिक न्याय: इसका लक्ष्य है सदियों से चले आ रहे भेदभाव (जैसे जाति, लिंग के आधार पर) को खत्म करना ताकि एक ऐसा समाज बने जहाँ सब साथ रह सकें।
- कैसे मिलेगा? इसके लिए संविधान में आरक्षण जैसे विशेष प्रावधान, छुआछूत खत्म करने के कानून, और दहेज या बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों को रोकने के कानून बनाए गए हैं।
- आर्थिक न्याय: इसका लक्ष्य है देश के पैसे और संसाधनों का फायदा सिर्फ कुछ लोगों तक सीमित न रहने देना। हर नागरिक के पास रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरूरतें पूरी होनी चाहिए।
- कैसे मिलेगा? इसके लिए सरकारें गरीबी कम करने, सबको शिक्षा देने, सबके लिए अस्पताल बनाने, और काम के अवसर पैदा करने की नीतियाँ बनाती हैं।
- राजनीतिक न्याय: इसका मतलब है कि देश के शासन में हर नागरिक की बराबर की भागीदारी हो। हर वोट की कीमत एक समान हो।
- कैसे मिलेगा? इसके लिए संविधान ने हर वयस्क नागरिक को वोट डालने का अधिकार (सार्वभौमिक मताधिकार) दिया है। चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से करवाए जाते हैं ताकि सबको सरकार चुनने का बराबर मौका मिले।
2. स्वतंत्रता (Liberty)
स्वतंत्रता का मतलब है लोगों को अपनी बात सोचने, कहने और अपने तरीके से जीने की आजादी देना। इसे दो हिस्सों में समझा जा सकता है:
- विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: इसका मतलब है कि आप किसी भी विषय पर अपनी राय बना सकते हैं, उसे बोलकर, लिखकर या किसी और तरीके से व्यक्त कर सकते हैं। अखबार और मीडिया भी सच्चाई दिखा सकते हैं।
- सीमा: यह आजादी बिना शर्त नहीं है। आप ऐसी बात नहीं कह सकते जिससे देश की सुरक्षा को खतरा हो, लोगों में झगड़ा हो, या किसी की इज्जत को चोट पहुँचे।
- धर्म की स्वतंत्रता: इसका मतलब है कि हर व्यक्ति किसी भी धर्म को मानने, उसके अनुसार पूजा करने और प्रचार करने के लिए आजाद है। आप किसी धर्म को न मानने के लिए भी आजाद हैं।
- सीमा: यह आजादी भी पूरी नहीं है। अगर कोई धार्मिक प्रथा समाज के लिए नुकसानदायक है (जैसे मानव बलि), तो सरकार उसे रोक सकती है।
साथ ही, संविधान यह भी सुनिश्चित करता है कि किसी को मनमाने तरीके से गिरफ्तार न किया जाए या जेल में न डाला जाए। यह हमारे व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करता है।
3. समानता (Equality)
समानता का सीधा मतलब है कि देश का कानून सबके साथ एक जैसा व्यवहार करेगा। कोई भेदभाव नहीं होगा। लेकिन यहाँ समानता का मतलब सिर्फ कानून की नजर में बराबरी नहीं है।
- भेदभाव पर रोक: संविधान कहता है कि किसी के साथ धर्म, जाति, लिंग या जन्म के स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा। सार्वजनिक स्थान, दुकानें, कुँए, सब सबके लिए खुले हैं।
- असली समानता के लिए कदम: कई समूह (जैसे दलित, आदिवासी, महिलाएँ) सदियों से पीछे रह गए हैं। उन्हें बराबरी पर लाने के लिए सिर्फ कानूनी अधिकार काफी नहीं हैं। इसलिए संविधान ने आरक्षण जैसे विशेष अधिकार दिए हैं ताकि उन्हें शिक्षा और नौकरियों में मौका मिल सके। यही असल समानता (Substantive Equality) है।
4. बंधुता (Fraternity)
बंधुता यानी भाईचारा। यह प्रस्तावना का सबसे खास और भावनात्मक लक्ष्य है।
- क्या मतलब है? इसका मतलब है कि देश के सभी नागरिक एक दूसरे के भाई-बहन की तरह हैं। उनमें आपसी प्यार, सम्मान और एक-दूसरे की मदद करने की भावना होनी चाहिए।
- दो मुख्य बातें:
- व्यक्ति की गरिमा: हर इंसान की इज्जत और स्वाभिमान बचाना जरूरी है। किसी को भी अपमानित या डराकर नहीं रखना चाहिए।
- राष्ट्र की एकता और अखंडता: भारत बहुत विविधताओं वाला देश है। यहाँ अलग-अलग भाषा, धर्म और संस्कृति के लोग रहते हैं। बंधुता का मतलब है कि इन सब अंतरों के बावजूद हम सब पहले भारतीय हैं और देश की एकजुटता बनाए रखनी है।
हमारे मौलिक कर्तव्य (जैसे देश की एकता बनाए रखना, सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना) इसी भाईचारे की भावना को मजबूत करते हैं।
निष्कर्ष: ये सब आपस में कैसे जुड़े हैं?
प्रस्तावना के ये चारों उद्देश्य अलग-अलग नहीं हैं, बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं।
- न्याय तभी मिल सकता है जब लोगों को स्वतंत्रता और समानता मिली हो।
- स्वतंत्रता तभी सुरक्षित रह सकती है जब समाज में भाईचारा (बंधुता) हो, जो नफरत और हिंसा को रोके।
- समानता तभी टिक सकती है जब सामाजिक और आर्थिक न्याय मिले।
इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने प्रस्तावना को संविधान की ‘आत्मा’ और ‘मूल ढाँचे’ का हिस्सा माना है। यह सिर्फ एक शुरुआत नहीं है, बल्कि वह कम्पास है जो पूरे संविधान और देश को सही दिशा में चलने का रास्ता दिखाती है।
अपनाने की तिथि
26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा में” (In our constituent assembly this twenty-sixth day of November, 1949)
- तारीख का महत्व: 26 नवंबर 1949 वह दिन है जब संविधान सभा (Constituent Assembly) ने संविधान के अंतिम मसौदे पर मुहर लगाई और उसे पूरा अपना लिया (Adopt)।
- संविधान सभा क्या थी? यह एक विशाल समूह था जिसमें देश के चुने हुए प्रतिनिधि (जैसे डॉ. भीमराव अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल आदि) शामिल थे। इन्होंने मिलकर लंबी चर्चा और मेहनत से संविधान लिखा था।
- ध्यान रखें: संविधान इसी दिन बनकर तैयार हो गया था, लेकिन इसे लागू 26 जनवरी 1950 को किया गया। इसीलिए 26 नवंबर को संविधान दिवस और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है।
“इसे अपनाते हैं, अधिनियमित करते हैं और स्वयं को समर्पित करते हैं” (Do hereby adopt, enact and give to ourselves this constitution)
यहाँ तीन क्रियाओं (Actions) का इस्तेमाल किया गया है, जिनके अलग-अलग मतलब हैं:
- अपनाते हैं (Adopt): इसका मतलब है स्वीकार करना या मंजूरी देना। संविधान सभा ने संविधान के final draft को मान लिया और उसे भारत के संविधान के रूप में स्वीकार किया।
- अधिनियमित करते हैं (Enact): इसका मतलब है कानूनी रूप से लागू करना। संविधान सभा ने इसे एक कानून (Act) की तरह पारित किया, ताकि यह देश का सर्वोच्च कानून बन सके।
- स्वयं को समर्पित करते हैं (Give to ourselves): यह सबसे खास शब्द है। इसका मतलब है कि यह संविधान हमने खुद अपने लिए बनाया है। यह किसी ऊपर वाले का आदेश नहीं, बल्कि हम लोगों ने खुद अपने ऊपर यह नियम लागू किए हैं। यह ‘स्व-शासन’ (Self-rule) की सबसे बड़ी अभिव्यक्ति है।
सरल शब्दों में सारांश:
इस पंक्ति का सीधा सा मतलब है:
“हम, भारत के सभी नागरिक, 26 नवंबर 1949 के दिन अपनी संविधान सभा के जरिए इस संविधान को मान लेते हैं, इसे कानून का रूप देते हैं और इसे खुद अपने ऊपर लागू करते हैं।”
यह पूरी तरह से “लोगों के, लोगों के द्वारा, लोगों के लिए” बनी सरकार की स्थापना का ऐलान है।
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